नई दिल्ली: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के कार्यकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) वेद मणि तिवारी की अचानक बर्खास्तगी ने सरकार और कौशल विकास क्षेत्र में कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटनाक्रम उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख अभियानों में से एक — “कौशल भारत मिशन” — को लेकर सरकार की प्राथमिकता पहले से ही स्पष्ट है।
प्रधानमंत्री मोदी पहले सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि यदि उन्हें कोई एक मंत्रालय चुनना हो, तो वह “कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय” (MSDE) होगा। इसी दृष्टिकोण के तहत कौशल भारत मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाना है।
वेद मणि तिवारी NSDC में उस समय मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) के रूप में शामिल हुए थे, जब पूर्व सीईओ का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। नए सीईओ की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण, तिवारी ने अंतरिम सीईओ के रूप में पदभार संभाला और मंत्रालय को यह प्रस्ताव दिया कि उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें स्थायी नियुक्ति दी जा सकती है। मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर उन्हें कार्यकारी सीईओ के रूप में कार्य जारी रखने की अनुमति दी।
हालांकि, समय के साथ उनके नेतृत्व में किए गए दावों को लेकर कई सवाल उठने लगे। सूत्रों के अनुसार, श्री तिवारी ने प्रचार-प्रसार में भारी निवेश कर मीडिया में NSDC की छवि को अत्यधिक सफल दिखाया, जिससे उन्हें मंत्रालय से अधिक फंड प्राप्त करने में मदद मिली।
बाद में आंतरिक जांचों के दौरान कई वित्तीय अनियमितताओं, फर्जी आंकड़ों की रिपोर्टिंग और पद का दुरुपयोग किए जाने के आरोप सामने आए। जानकारी के अनुसार, जो कर्मचारी इन गतिविधियों का विरोध करते थे, उन्हें “अकार्यकुशलता” के आधार पर नौकरी से हटा दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, NSDC के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। जिन अधिकारियों के नाम बार-बार चर्चा में आए हैं, उनमें श्रेष्ठा गुप्ता, अजय रैना, मोहित माथुर, नितिन कपूर, प्रमुख हैं — जिनके वेतन और पदोन्नति में कथित तौर पर असामान्य तेजी देखी गई।
संदेहास्पद परियोजनाएं और कथित वित्तीय अनियमितताएं
नीचे दी गई परियोजनाएं फिलहाल जांच के घेरे में हैं:
1. प्रोजेक्ट कोविड वॉरियर्स: दावा किया गया कि प्रशिक्षण के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पोर्टल पर अपलोड किया गया। जब एक कर्मचारी, हरप्रीत कौर ने इसका विरोध किया, तो उन्हें सेवा से हटा दिया गया।
2. प्रोजेक्ट CERTIFID: एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद भारी फंड आवंटित हुआ, लेकिन परियोजना जल्द ही बंद हो गई। फंड उपयोग को लेकर सवाल उठे हैं।
3. प्रोजेक्ट CAMU: एक घाटे में चल रही कंपनी के साथ करार किया गया, कथित रूप से रिश्वत के बदले में। NSDC के कई कर्मचारियों को इस उत्पाद का प्रचार करने में लगाया गया, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं मिले।
4. स्टोरी बोट अनुबंध: एक कथित रूप से संबंधित फर्म को अत्यधिक दर पर ठेका दिया गया, जिसमें कमीशन लेने के आरोप लगे।
5. SIDH पोर्टल परियोजना: इसमें लगभग ₹100 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का संदेह जताया गया है।
6. इज़राइल भर्ती अभियान: लगभग ₹52 करोड़ की राशि उम्मीदवारों से एकत्र की गई, लेकिन इसके उपयोग को लेकर गंभीर आरोप हैं।
7. ग्रेटर नोएडा इंटरनेशनल सेंटर घोटाला: बिना अधिकृत अनुमति के भवन लीज डीड और निर्माण कार्य हुआ। कुल मिलाकर ₹26.5 करोड़ की अनियमितताओं की बात सामने आई है।
8. स्किल इंडिया सेंटर (SIC): कुछ केंद्रों की स्थापना अपारदर्शी प्रक्रिया के जरिए की गई, जिससे ₹15 करोड़ तक के फंड के दुरुपयोग की आशंका है।
9. मीडिया खर्च: कई ऐसी परियोजनाएं बनाई गईं, जिनका उद्देश्य केवल मीडिया प्रचार के खर्च को सही ठहराना था। अनुमानित ₹15 करोड़ की अनियमितता।
10. PMKVY विशेष अंतरराष्ट्रीय परियोजना: NSDC इंटरनेशनल को बिना पारदर्शी प्रक्रिया के यह प्रोजेक्ट सौंपा गया। फर्जी उम्मीदवार आंकड़ों के जरिए ₹8 करोड़ से अधिक फंड का दुरुपयोग किए जाने की बात सामने आई है।
आगे की दिशा?
हालांकि तिवारी की बर्खास्तगी को लेकर आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का मानना है कि मंत्रालय के स्तर पर आंतरिक जांच और प्रारंभिक रिपोर्टों के आधार पर यह कदम उठाया गया। यह भी बताया जा रहा है कि विस्तृत ऑडिट और गहन जांच की सिफारिश की गई है।
NSDC और MSDE के अधिकारियों से इस विषय में प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी है।
कौशल भारत मिशन भारत की विकास नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। ऐसी स्थिति में पारदर्शिता, जवाबदेही और संस्थागत ईमानदारी को बहाल करना इस मिशन की सफलता के लिए अत्यावश्यक होगा।