
दिल्ली. 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर रही बीजेपी में अब सबसे ज्यादा कोई चर्चा है, तो वो सीएम पद को लेकर है. दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर नए सीएम को लेकर बैठक हो रही है, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम नेता मौजूद हैं. मुस्तफाबाद से छह बार के विधायक मोहन सिंह को अमित शाह ने मुलाकात के लिए बुलाया है, जिससे कयासों का बजार और गर्म हो गया है. वहीं, कल अमित शाह ने प्रवेश वर्मा से मुलाकात की थी. आखिर दिल्ली बीजेपी के कौन से वो चेहरे हैं, जो सीएम पद की दौड़ में आगे हैं.
सीएम पद की रेस में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है. उन्होंने नई दिल्ली सीट से प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4089 वोटों से हराया. प्रवेश वर्मा भारतीय जनता पार्टी का पंजाबी और जाट चेहरा हैं. प्रवेश राष्ट्रीय स्वयं नाम का एक सामाजिक सेवा संगठन भी चलाते हैं. वो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. यह परिवार दिल्ली के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक है. प्रवेश वर्मा के चाचा भी राजनीति में हैं. वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं और उन्होंने मुंडका से 2013 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था.
प्रवेश की पत्नी स्वाति सिंह मध्य प्रदेश के भाजपा नेता विक्रम वर्मा की बेटी हैं. प्रवेश वर्मा की दो बेटियां और एक बेटा है. चुनाव प्रचार में उनकी दोनों बेटियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. प्रवेश वर्मा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की गिनती भाजपा के दिग्गज नेताओं में होती थी. वह बीजेपी के दिग्गज जाट नेताओं में से एक थे. पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए प्रवेश वर्मा ने भी राजनीति में प्रवेश किया. प्रवेश वर्मा ने 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा और महरौली से विधायक बने. बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें पश्चिमी दिल्ली से टिकट दिया. इस चुनाव में वर्मा ने पांच लाख से भी ज़्यादा वोट से जीत हासिल की. इसके बाद वह संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते संबंधी संयुक्त संसदीय समिति और शहरी विकास संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे.
इसके बाद 2024 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. तभी से माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा को दिल्ली चुनाव में उतारा जाएगा. अब पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा तो उन्होंने अरविंद केजरीवाल को मात दे दी. चुनाव के दौरान उन्होंने बहुत आक्रामकता के साथ केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की. प्रदूषण प्रबंधन, बुनियादी ढांचे सहित कई मामलों पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी. चुनाव में संसाधनों के दुरुपयोग, यमुना प्रदूषण और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर बीजेपी के ‘शीश महल’ के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल से उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई. प्रवेश वर्मा का जन्म 1977 में हुआ था. उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की. इसके बाद किरोड़ीमल कॉलेज से बीए की डिग्री और फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया. प्रवेश वर्मा बीजेपी के अरबपति विधायकों में से एक हैं. चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे के अनुसार उनके पास कुल 115 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है.
अपने उग्र बयानों के कारण वो कई बार विवादों में घिर चुके हैं. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल के बारे में एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने उन पर 24 घंटे के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2025 के चुनाव के दौरान भी प्रवेश वर्मा पर महिला मतदाताओं को जूते बांटने का आरोप लगा था जिसके बाद चुनाव आयोग में उन पर आदर्श आचार संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया था.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी सीएम पद की रेस में हैं. 1988 से राजनीति में सक्रिय सचदेवा भारतीय तीरंदाजी संघ के सचिव और कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2009 में वह प्रदेश मंत्री और 2017 में वह प्रदेश उपाध्यक्ष बने. वीरेंद्र सचदेवा लोकसभा चुनाव के पहले से ही आक्रामक रणनीति पर काम कर रहे थे. वो संगठन के व्यक्ति माने जाते हैं. दिल्ली का चुनाव उनके नेतृत्व में हुआ है. ऐसे में वीरेंद्र सचदेवा का भी दावा मजबूत माना जा रहा है.
सिख समुदाय में अच्छी पैठ रखने वाले बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा पर भी पार्टी मुख्यमंत्री का दांव खेल सकती है. बीजेपी के पास सिख समुदाय का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. राजौरी गार्डन से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा पहले भी इसी सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं.
दिल्ली में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को भी मुख्यमंत्री की रेस में शामिल बताया जा रहा है. वह वैश्य समुदाय से आते हैं. दिल्ली में वैश्य समुदाय बड़ी संख्या में है. विजेंद्र गुप्ता लगातार चुनाव जीतकर ही केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ मुखर और संघर्षरत रहे. रोहिणी सीट से लगातार तीन चुनाव जीतकर उन्होंने हैट्रिक लगाई है. इस बार उन्होंने करीब 38 हजार वोटों से अपनी जीत दर्ज की है. वो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य हैं. विजेंद्र गुप्ता की राजनीतिक यात्रा 1997 से शुरू हुई. वह पहली बार दिल्ली नगर निगम के पार्षद चुने गए.
रेखा गुप्ता का नाम भी इस कतार में शामिल बताया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी अगर किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने की राय रखती है तो वह पहली पंक्ति में शामिल हैं. शालीमार बाग से रेखा गुप्ता ने करीब 30 हज़ार वोट से जीत दर्ज की है. वह इसी सीट पर 2020 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गईं थीं. रेखा गुप्ता दिल्ली नगर निगम की पार्षद और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
मोहन सिंह विष्ट मुस्लिम बाहुल इलाके मुस्ताफाबाद से विधायक चुने गये हैं. उन्हें भी सीएम रेस की दौड़ में आगे माना जा रहा है. 1998 से 2008 तक बिष्ट करावल नगर से चुनाव लड़ते रहे हैं. वो छह बार विधायक रहे हैं. 2015 में उनको आप के कपिल मिश्रा से हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में कपिल मिश्रा को बीजेपी ने करावल नगर से उतारा और बिष्ट की सीट बदल दी थी, जिसका मोहन सिंह बिष्ट ने विरोध किया था, लेकिन पार्टी नेतृत्व के कहने पर चुनाव लड़ा और विधायक बने हैं. अब वो मुख्यमंत्री पद की रेस में आ गये हैं.
पटपड़गंज से विधायक रवींद्र सिंह नेगी उर्फ रवि नेगी के नाम की भी सीएम पद की रेस में शामिल है. उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी और चर्चित शिक्षक अवध ओझा को बड़े मार्जिन से हराया है. रवि नेगी दिल्ली बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं. 2020 में उन्होंने तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी और 38 सौ वोटों के अंतर से हारे थे. यही वजह है कि इस चुनाव में बीजेपी ने उन पर दांव लगाया और रवि ने बड़ी जीत दर्ज की. वो विनोद नगर इलाके से वार्ड पार्षद हैं.